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ऐन फ्रैंक के डायरी के पन्ने ॅ

शुक्रवार, 19 मार्च, 1943 

मेरी प्यारी किट्टी.

अभी एक घंटा भी नहीं बीता था कि हमारी खुशी निराशा में बदल गई। टर्की अभी युद्ध में शामिल नहीं हुआ है। हुआ यह था कि एक केंद्रीय मंत्री ने यह कहा था कि टर्की

जल्दी ही तटस्थता छोड़ देगा। डैम चौक पर अखबार बेचने वाला चिल्ला रहा था; 'टर्की इंग्लैंड के पक्ष में अखबार उसके हाथ से झपटे जा रहे थे और इस तरह से हमने वह उत्साहवर्धक अफवाह सुनी थी।

हज़ार गिल्डर के नोट अवैध मुद्रा घोषित किए जा रहे हैं। यह ब्लैक मार्केट का धंधा करने वालों और उन जैसे लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका होगा, लेकिन उससे बड़ा संकट उन लोगों का है जो या तो भूमिगत हैं या जो अपने धन का हिसाब-किताब नहीं दे सकते। हजार गिल्डर का नोट बदलवाने के लिए आप इस स्थिति में हों कि ये नोट आपके पास आया कैसे और उसका सुबूत भी देना होगा। इन्हें कर अदा करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है; लेकिन अगले हफ्ते तक ही । पाँच सौ गिल्डर के नोट भी तभी बेकार हो जाएँगे। गिएज एंड कंपनी के पास अभी हज़ार गिल्डर के कुछ नोट बाकी थे जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं था। इन्हें कंपनी ने आगामी वर्षों के लिए अनुमानित कर अदायगी में निपटा दिया इसलिए फ़िलहाल तो गर्दन पानी के ऊपर ही हैं।

मिस्टर डसेल को कहीं से बाबा आदम के जमाने की पैरों से

चलने वाली दाँतों की ड्रिल मशीन मिल गई है। इसका मतलब,

संभवतः जल्दी ही मेरे दाँतों का पूरा चेक अप हो पाएगा। जब घर के कायदे-कानून मानने की बात आती है तो मिस्टर डसेल भयंकर रूप से आलस दिखाते हैं। न केवल वे चार्लोट से पत्राचार कर रहे हैं, और भी कई दूसरे लोगों के साथ भी चिट्ठी-पत्री बनाए हुए हैं। मार्गोट, जो कि उनकी डच अध्यापिका हैं, उनके ये पत्र ठीक करती हैं। पापा ने उन्हें मना किया है कि वे ये सब कारोबार बंद करें और मार्गोट ने उनके पत्र ठीक करने बंद कर दिए हैं। लेकिन मुझे लगता है, वे अपनी चिट्ठी-पत्री फिर से शुरू कर देंगे।

जनाब हिटलर घायल सैनिकों से बातचीत कर रहे हैं। हमने उन्हें रेडियो पर सुना । सचमुच यह सब कुछ करुणाजनक था। सवालों - जवाबों का सिलसिला इस तरह से चल रहा था : 'मेरा नाम हैनरिक शापेल है। '
आप कहाँ जख्मी हुए थे?"

'स्नालिनग्राद के पास।'

'किस किस्म का घाव है यह?"

'दोनों पाँव बरफ़ की वजह से गल गए हैं और बाएँ बाजू में हड्डी टूट गई है। ' ये बातें जस की तस दे रही हूँ जो मैंने रेडियो पर कठपुतलियों के खेल की तरह सुनीं। घायल सैनिक जैसे अपने ज़ख्मों को दिखाते हुए गर्व महसूस कर रहे थे। जितने ज्यादा घाव, उतना ज्यादा गर्व। उनमें से एक तो हिटलर से हाथ मिलाने के खयाल से ही इतना उत्साहित हुआ जा रहा था (मेरे खयाल से तो अभी भी वह उसी उत्साह में होगा) कि वह एक शब्द भी नहीं बोल पाया।
मुझसे डसेल साहब का साबुन ज़मीन पर गिर गया था। मेरी किस्मत खराब थी कि मेरा पैर उस पर पड़ गया। अब पूरा साबुन ही गायब है। मैंने पापा से कहा है कि मिस्टर डसेल को इसकी भरपाई कर दें। उनको हर महीने युद्ध के समय के घटिया साबुन की एक ही बट्टी मिलती है।

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